विषय :
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परिषद के मृतक कर्मचारियों के जीवित रहते उनसे परिषद के देयों की वसूली न होने, उनके विरूद्ध अनुशासनिक/न्यायालय कार्यवाहियों के लम्बित रहने के कारण उनके परिवार को पारिवारिक पेंशन, मृत्यु ग्रेच्युटी और देयों के भुगतान में होने वाले विलम्ब का निराकरण।
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महोदय, |
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मुझे यह कहने का निर्देश हुआ है कि परिषद के मृतक सेवकों के परिवार उत्तर प्रदेश रिटायरमेन्ट बेनिफ्टिस रूल्स 1961 एवं न्यू फेमिली पेंशन स्कीम 1965 के तहत मृत्यु ग्रेच्युटी और पारिवारिक पेंशन पाने के पात्र है। परिषद के मृतक सेवकों का अपने जीवनकाल में परिषद की सेवा में रहते, उनसे परिषदीय देयों की पूर्ण वसूली न हो पाने के कारण अथवा उनके विरूद्ध अनुशासनिक/न्यायालय कार्यवाहियों के लम्बित रहने के कारण उनके परिवार को समय पर पारिवारिक पेंशन, मृत्यु-ग्रेच्युटी और अन्य देशों की स्वीकृति और भुगतान करने के मार्ग में आने वाली रूकावटों को दूर करने विषयक प्रकरण यदा-कदा परिषद को प्राप्त होते रहते हैं, जिनका परीक्षण करने के उपरान्त यह पाया गया कि पारिवारिक पेंशन, मृत्यु ग्रेच्युटी और अन्य देशों के भुगतान में होने वाले विलम्ब के उपर्युक्त कारणों के निदान के बारे में समय-समय पर परिषद स्तर से निर्गमित/आदेशों की या तो क्षेत्रीय अधिकारियों को जानकारी नहीं है और अथवा जानकारी होते हुए भी वे उनका अनुसरण नहीं करते हैं।
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अत: पारिवारिक पेंशन और मृत्यु-ग्रेच्युटी इत्यादि देयों की स्वीकृति और उनके भुगतान में होने वाले विलम्ब के उक्त कारणों के निदान हेतु समय-समय पर शासन/परिषद स्तर से निर्गमित निम्न आदेशों और नियमों की ओर आपका ध्यान आकर्षित करते हुए यह अनुरोध करना है कि आप उनका कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करायें :-
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(1)
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परिषद के मृतक सेवकों के विरूद्ध बकाया देयों की वसूली :- |
(1)
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इस सम्बेन्ध में परिषदाज्ञा सं. 893-पेंशन/31/राविप-461 (पी)/89 के साथ पठित शासनादेश संख्या-सा-3.1715/दस 89-933/89, दिनांक 28.7.1989 के प्रस्तर (5)-2 (8) (2) में स्पष्ट कहा गया है कि :-
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(क)
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मृतक परिषदीय सेवक के विरूद्ध सामान्य रिकवरी जैसे मकान निर्माण/क्रय/मरम्मत के लिए और वाहन क्रय करने के लिए स्वीकृत की गयी दीर्धावधि के अग्रिम धनराशियों एवं मकान किराया/क्षतिपूर्ण किराये की वसूली आदि देय होने पर उसकी रिकवरी मृत्यु ग्रेच्युटी की धनराशि से कर ली जायेगी।
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(ख)
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उपर्युक्त (क) में उल्लिखित देयों के अलावा अन्य देयों की मृत्यु-ग्रेच्युटी से तक तक वसूली नहीं की जायेगी जब तक यह सुनिश्चित न हो जाय कि उनके सम्बन्ध में सम्बन्धित परिषदीय सेवक को उसकी मृत्यु के पूर्व "शो-काज नोटिस" देकर उसको अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान किया जा चुका है और प्रश्नगत बकाया देयों की वसूली की सूचना सम्बन्धित मृतक परिषदीय सेवक के परिषदीय सेवक के परिवार को दे दी गयी है।
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(ग)
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भवन निर्माण/क्रय/मरम्मत के लिए और वाहन क्रय के लिए ली गयी दीर्धावधि के अग्रिम धनराशियो की कर्मचारी की मृत्यु पूर्व ब्याज सहित पूर्ण वसूली न हो पाने पर मृत्यु के दिनांक से, बकाया अग्रिम पर ब्याज की वसूली मृत्यु-ग्रेच्युटी अथवा अवकाश नकदीकरण की धनराशि से नहीं की जायेगी अर्थात सेवक की मृत्यु के दिनांक के पश्चात दीर्धावधि अग्रिमों पर कोई ब्याज वसूल नहीं किया जायेगा।
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(घ)
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परिषद के मृतक कर्मचारी के पास परिषद के स्टोर चार्ज होने की दशा में तत्काल यह सुनिश्चित कर लिया जाय कि मृतक कर्मचारी की मृत्यु के तुरन्त बाद मृतक कर्मचारी के स्टोर स्थल के समीपस्थ नजदीकी केन्द्र के अधिकारी/कर्मचारी द्वारा उस स्टोर का चार्ज ले लिया गया है और उस स्टोर-स्थल पर पड़ी समस्त भौतिक सामग्री की पूर्ण सुरक्षा व्यवस्था कर ली गई है। स्टोर का चार्ज तुरन्त पाना सम्भव न होने पर यह सुनिश्चित कर लिया जाय कि मृतक कर्मचारी के परिवार के किसी मान्य सदस्य की उपस्थिति में मृतक कर्मचारी के स्टोर स्थल में पड़ी भौतिक सामग्री का विधिवत गठित समिति के द्वारा मृतक कर्मचारी के परिवार के किसी मान्य सदस्य की उपस्थिति में भौतिक सत्यापन करा लिया गया है और इसके साथ ही मृतक कर्मचारी की मृत्यु के पूर्व उसके स्टोर की सामग्री का जो अन्तिम वार्षिक भौतिक सत्यापन /अन्तिम छमाही भौतिक सत्यापन और अन्तिम मासिक भौतिक सत्यापन किया गया हो उससे मिलान करके समिति ने कर्मचारी की मृत्यु के समय उसके स्टोर की जो सामग्री कम पायी है उसका मूल्यांकन कर लिया गया है जिसके आधार पर कम पायी गयी स्टोर सामग्री कम पायी है उसका मूल्यांकन कर लिया गया है जिसके आधार पर कम पायी गयी स्टोर सामग्री की जो मूल्य राशि निकलती हो, वह मृतक कर्मचारी के परिवार को मिलने वाली मृत्यु ग्रेच्युटी से समायोजित कर ली जायेगी और यदि ग्रेच्युटी की अनुमन्य धनराशि कम पायी गयी स्टोर सामग्री की धनराशि से कम पड़ती है तो बची हुई धनराशि को बट्टे खाते में डालने को "सक्षम अधिकारी" का अनुमोदन प्राप्त कर लिया जाय।
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टिप्पणी -
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कर्मचारी की मृत्यु के समय उसके पास स्टोर का चार्ज होने की दशा में उसके चार्ज में स्टोर का उसकी मृत्यु के पूर्व नियमित वार्षिक/ अर्द्धवार्षिक और मासिक भौतिक सत्यापन न कराये जाने पर मृत्यु के समय उसके स्टोर में जो भौतिक सामग्री कम पायी जायेगी उसके लिए सीधे सम्बन्धित अधिकारी उत्तरदायी होंगे और ऐसी स्थिति में कर्मचारी की मृत्यु के समय उसके चार्ज में स्टोर की जो सामग्री कम पायी जायेगी, उसके मूल्य धनराशि की सम्बन्धित उत्तरदायी अधिकारी से वसूली सुनिश्चित की जाय।
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(ड़)
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पारिवारिक पेंशन की राशि से किसी भी प्रकार की वसूली नहीं की जा सकती है। परिषद लिए मृतक कर्मचारी के परिवार को पारिवारिक पेंशन का दिया जाना एक सामाजिक कल्याणकारी कार्य और उत्तरदायित्व है, कोई भी नियम पारिवारिक पेंशन का किसी तरह की कटौती का अधिकार नहीं देता।
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(च)
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परिषद के मृतक कर्मचारी के विरूद्ध सरकारी/परिषदीय अथवा गैर सरकारी/परिषदीय किसी भी तरह से बकाया देय होने पर भी मृतक कर्मचारी के परिवार को दी जाने वाली पारिवारिक पेंशन नहीं रोकी जायेगी।मृतक कर्मचारी की मृतक की मृत्यु के तुरन्त बाद मृतक कर्मचारी के परिवार को तत्काल पूरी पारिवारिक पेंशन स्वीकृत करके उसका भुगतान कर दिया जायेगा।
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2.
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मृत परिषदीय सेवक के विरूद्ध विभागीय/ न्यायिक कार्यवाही/ जांच लम्बित होना : |
(क)
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परिषदीय सेवक की मृत्यु के दिनांक को किसी भी मामले में विभागीय/न्यायिक कार्यवाही/जांच जारी रहते परिषदीय सेवक की मृत्यु हो जाने पर, चूंकि वह अपना पक्ष मृत्यु उपरान्त प्रस्तुत नहीं कर सकता है और चूंकि एकतरफा कार्यवाही/जांच, विधिक दृष्टि से न्यायोचित नहीं कही जा सकती है, अत: उपर्युक्त शासनादेश सं.- सा-3-1713/दस-89-933/89, दिनांक 28.7.1989 के प्रस्तर (5)-2 (ख) के तहत मृतक कर्मचारी के विरूद्ध उसकी मृत्यु के दिनांक को ऐसी विभागीय/न्यायिक कार्यवाही स्वत: समाप्त हुई समझी जायेगी।
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(ख)
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निलम्बनाधीन परिषदीय सेवक की, उसके विरूद्ध संस्थित अनुशानिक अथवा न्यायालय कार्यवाहियां समाप्त होने के पूर्व मृत्यु हो जाय तो ऐसी दशा में परिषदाज्ञा सं. 701-जी/राविप-का-171ए/86, दिनांक 7 मार्च, 1981 (संलग्नक-1) के साथ पठित वित्तहस्त पुस्तिका खण्ड दो भाग 2-4 के मूल नियम-54-ख (2) के तहत उक्त वित्त हस्तपुस्तिका के नियम-53 में किसी बात के होते हुए भी कर्मचारी के निलम्बन के दिनांक और उसकी मृत्यु के दिनांक के बीच की अवधि को सभी प्रयोजन के लिए कार्यावधि समझा जायेगा और उसके कुटुम्ब को उक्त अवधि के लिए पहले से दिये गये, निर्वाह भत्ता को समायोजित करते हुए पूरा वेतन और भत्ता दिया जायेगा, जिसके लिए वह (मृतक कर्मचारी) हकदार होता, यदि वह निलम्बित न किया गया होता।
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(ग)
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मृतक परिषदीय सेवक के परिवार का जो सदस्य पात्रता के अनुक्रम में पारिवारिक पेंशन और मृत्यु ग्रेच्युटी का अपना अंश पाने का पात्र है यदि वह किसी परिषदीय के अनुक्रम में पारिवारिक पेंशन और मृत्यु ग्रेच्युटी का अपना अंश पाने का पात्र है यदि वह किसी परिषदीय सेवक की हत्या करने अथवा उस अपराध के दुष्प्रेरण के लिए दोषी पाया जाय तो मृतक के परिवार के उस सदस्य को शासनादेश (सं.-सा-3-220/दस-905/81 दिनांक 16 सितम्बर, 1981) (संलग्नक-2) के तहत पारिवारिक पेंशन पाने के लिए विवर्जित कर दिया जायेगा एवं शासनादेश सं.-सा-3-1253/दस-935-75, दिनांक 16 सितम्बर 1981 (संलग्नक-3) के साथ पठित उत्तर प्रदेश रिटायरमेन्ट बेनिफ्टिस नियमावली 1961 के नियम-12 के तहत उपादान के अंश को पान विवर्जित कर दिया जायेगा।
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टिप्पणी -
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दिनांक 16 सितम्बर, 1981 को उपर्युक्त दोनों शासकीय आदेश/नियम परिषद के कर्मचारियों/अधिकारियों के मामलों मे निस्तारण के लिए अंगीकृत कर लिया गया है।
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सलंग्नक:- |
यथोपरोक्त |
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भवदीय |
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रणवीर सिंह सचिव |