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परिषदादेश संख्या 1080

परिषदादेश संख्या 1080/पेंशन/31/राविप/98-60 पी/98 दिनांक 26.8.98

1.1.96 को या उसके उपरान्त मृत्यु हुये परिषदीय सेवकों को अनुमन्य परिलाभ

पारिवारिक पेंशन :-
 

क.

सामान्य दर :
    अन्तिम आहरित मूल वेतन का 30 प्रतिशत
 

ख.

बढ़ी हुई दर से

न्यूनतम 1275.00

   

बढ़ी हुई दर जो कार्मिक/पेन्शनर की मृत्यु की बाद सात साल तक या उसकी 65 साल की आयु पूर्ण करने की दिनाँक तक यदि वह जीवित रहता जो भी पहले हो अनुमन्य होती है। इस आदेश के अनुसार पारिवारिक पेंशन की धनराशि के बराबर होगी जो मृतक कार्मिक के अन्तिम मूल वेतन का 50 प्रतिशत या पारिवारिक पेंशनर की सामान्य दर का दो गुना, जो भी कम हो मिलेगी और यह सामान्य दर से बढ़ी हुई धनराशि मृत्यु के पश्चात 7 साल तक या उस दिन तक जबकि कार्मिक भी कम हो मिलेगी और यह सामान्य दर से बढ़ी हुई धनराशि मृत्यु के पश्चात 7 साल तक या उस दिन तक जबकि कार्मिक 65 साल की आयु पूरा करता है यदि वह जीवित रहता इसमें जो भी पहले हो देय होगी।

   

यदि कार्मिक की मृत्यु रिटायरमेन्ट के बाद हो तो ऐसी दशा में उपरोक्त बढ़ी हुई दर से पारिवारिक पेन्शन की धनराशि जो कि मृत्यु के पश्चात 7 साल तक या उस दिन जब तक जीवित रहने की हालत में सम्बन्धित कार्मिक 65 साल की आयु पूर्ण कर लेने तक अनुमन्य है, कार्मिक की स्वीकृति सेवानिवृत्ति पेंशन से अधिक नहीं होगी।

     
पारिवारिक पेंशन के लियें पात्रता :-
 

(1)

पत्नी/पति
 

(2)

पुत्र 25 साल या जबसे वह जीविकोपार्जन करने लगे जो भी पहले हो तक।
 

(3)

पुत्री 25 साल या उसका विवाह अथवा जीविकापार्जन करने की तिथि, जो भी पहले हो तक।
  नोट :  
 

(1)

सौतेली तथा रिटायरमेन्ट के पूर्व विधिवत् गोद ली गयी सन्तानें भी सम्मिलित हैं।
 

(2)

विकलांग तथा मानसिक रूप से विक्षिप्त संतानों पर आयु का बन्धन नहीं है।
 

(3)

पारिवारिक पेंशन उपर्युक्त क्रम में एक समय में एक सदस्य को ही अनुमन्य है।
 

(4)

दिनांक 1.1.98 से विधवा एवं तलाकशुदा पुत्री को उनके 25 साल की आयु प्राप्त करने तक अथवा उसके पुर्नविवाह करने तथा करने तक इनमें से जो पहले हो तक अनुमन्य होगी। तथा सरकारी निजी क्षेत्र, स्व. रोजगार पाने के बाद 2550/- प्रतिमाह अर्जित करने पर बन्द/निरस्त कर दी जायेगी।

 

(5)

यदि स्वर्गीय कर्मचारी के परिवार में पारिवारिक पेंशन प्राप्त करने हेतु उसके माता-पिता जिनकी 2550/- प्रतिमाह से अधिक आय न हो, उन्हें इस आशय का सालाना प्रमाण-पत्र देना होगा, को भी 1.1.98 से पारिवारिक पेंशन अनुमन्य होगी।         

    मृत्यु ग्रेच्युटी :-
 

1.

मृत्यु ग्रेच्युटी निम्न प्रकार देय है :
 

2.

एक साल से कम सेवा अवधि पर :परिलब्धियों का दो गुना
 

3.

एक साल से अधिक लेकिन पाँच साल से कम पर :परिलब्धियों का 6 गुना
    पाँच साल से अधिक लेकिन 20 साल से कम पर :परिलब्धियों का 12 गुना
       
    आहरित परिलब्धियों x अर्ह छमाहियाँ (अधिकतम् 66)  (अधिकतम् 3.50)
   

2

 
  नोट : परिलब्धियों में अन्तिम आहरित मूल वेतन एवं उस पर अनुमन्य मंहगाई भत्ते का योग है
     
    मृत्यु ग्रेच्युटी की पात्रता :
   

मृत्यु ग्रेच्युटी का भुगतान परिषदीय सेवक द्वारा नामांकन के आधार पर होगा। नामांकन के अभाव में पात्रता के लिए परिवार के सदस्यों में निम्न प्रकार मृत्यु ग्रेच्युटी का वितरण किया जाना है :-

    प्रथम श्रेणी :
 

1.

पत्नी या पति 2. पुत्र । 3. अविवाहित पुत्रियाँ।
   

उपरोक्त में बराबर बांट दी जाएगी। यदि उपरोक्त परिवार के सदस्यों में कोई व्यक्ति न हो तो निम्न प्रकार बराबर-बराबर वितरित की जाएगी।

    द्वितीय श्रेणी :
 

1.

विवाहित पुत्री एवं विधवा पुत्रियाँ 2. 18 वर्ष से कम आयु के भाई तथा अविवाहित बहनें
 

3.

माता पिता। 4. पूर्व मृत पुत्र की सन्तानें।
  नोट : उपरोक्त में कोई भी सदस्य नहीं है तो मृत्यु ग्रेच्युटी परिषद के पक्ष में व्ययगत हो जाएगी।
    सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्त
   

"पेंशन व ग्रेच्युटी सरकार द्वारा कर्मचारियों में बांटा जाने वाला दान या उपहार नहीं है, बल्कि कर्मचारियों का महत्वपूर्ण अधिकार व सम्पत्ति है। इनकी अदायगी में किया गया दोषपूर्ण दण्ड किये जाने योग्य है।" (1985 एस.सी.सी) (एल.एण्ड. 278) (केरल राज्य बनाम एम. पदनायन नायर)