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तात्कालिक विद्युत परिषद एवं वर्तमान पावर कारपोरेशन

तात्कालिक विद्युत परिषद एवं वर्तमान पावर कारपोरेशन से सेवानिवृत्त अधिकारियों/कर्मचारियों से व्यवहार के सम्बन्ध में

  दिनाँक 14 मई, 2001

पत्रांक -1305-पे एवं आर-28/पाकालि/2001 49 पी/89

समस्त महाप्रबन्धक/मुख्य महाप्रबन्धक
मुख्य अभियन्ता (जल विद्युत),
उ० प्र० पावर कारपोरेशन लिमिटेड।

   

महोदय,

विद्युत पेंशनर्स परिषद की ओर से कारपोरेशन के संज्ञान में यह बात लायी गयी है कि तत्कालिक विद्युत परिषद और वर्तमान कारपोरेशन सेवानिवृत्ति अधिकारी/कर्मचारी और दिवंगत अधिकारियों और कर्मचारियों के परिवार के सदस्य यदा कब जब भी अपने नैवृर्तिक लाभों एवं सेवांत प्रसुविधाओं से सम्बन्धित परिवेदनाओं / समस्याओं के निदान के बारे में जानकारी प्राप्त करने क्षेत्रीय स्तर पर कारपोरेशन के अधिकारियों और सम्बधित कर्मचारियों के संपर्क करते है तो उनकी परिवेदनाओं पर  उन्हें कोई जानकारी नहीं दी जाती है और यहाँ तक की उनके साथ सभ्यतापूर्ण व्यवहार नहीं किया जाता है। कारपोरेशन ने इसकों अत्यधिक गम्भीरता से लिया है। मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि मैं आपका ध्यान 'सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली 1956' के नियम 3 सामान्य (2) की ओर आकर्षित करूं जिसका मूल पाठ सुगम सन्दर्भ हेतु नीचे प्रस्तुत है :-

   
  "प्रत्येक सरकारी कर्मचारी सभी समयों पर व्यवहार तथा आचरण को विनियमित करने वाला प्रवृत्त, विशिष्ट (स्पेसीफिक)" या ध्वनित (एमप्लाइड) शासकीय आदेशों के अनुसार आचरण करेगा।"
   
 

सेवानिवृत्ति हुए अथवा सेवानिवृत्ति होने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों से संतोषजनक व्यवहार करने और मानवता के नाते उनकों आदर और सम्मान देने को तात्कालिक उ० प्र० राज्य विद्युत परिषद की ओर से उनके परिपत्र संख्या 138-पेंशन-31/राविप/89, दिनाँक 28 अप्रैल, 1989 के द्वारा पूर्व में आवश्यक आदेश/निदेश जारी हो चुके हैं, जिनकी प्रतिलिपि पुन: संलग्न करते हुए मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि आप अपने अधीनस्थ अधिकारियों/कर्मचारियों की ओर से यह सुनिश्चित करायें कि उनका अपना आचरण और व्यवहार इस प्रकार का होना चाहिए जो कारपोरेशन के कर्मचारियों/अधिकारियों के आचरण और व्यवहार के लिए अयोग्य और अशोभनीय न हो और वे तात्कालीन विद्युत परिषद और वर्तमान कारपोरेशन के सेवानिवृत्त अधिकारियों/कर्मचारियों एवं सेवा में रहते दिवंगत अधिकारियों/कर्मचारियों के परिवारों के सदस्यों के साथ अपने व्यवहार में शिष्टता तथा नैतिकता का ऐसा स्तर बनायें रखें जो एक शिष्ट नागरिक के योग्य हो, जिससे वे कारपोरेशन को या स्वयं को लांछित न करें।

   
 

मुझे पुन: यह कहने का निदेश हुआ है कि आप कारपोरेशन को उपर्युक्त निदेशों का अपने अधीनस्थ सभी अधिकारियों/कर्मचारियों से निष्ठा के साथ अनुपालन सुनिश्चित करायें और उनकी परिवेदनाओं के बारे में नवीनतम स्थिति से अवगत कराते हुए शीघ्र निदान करने/कराने का पूर्ण सहयोग दे।

   
 

 

भवदीय


आर.सी.गुप्ता
महाप्रबन्‍धक