पूर्ववर्ती उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद के सेवकों की सेवा निवृत्ति U.P. State Electricity Board (EMPLOYEE RETIREMENT) Regulation 1975 यथा संशोधित से नियन्त्रित होती है तथा नैवृतिक लाभ एवं पारिवारिक पेंशन U.P. Retirement-Benefit (Rules) 1961 तथा New Family Pension Scheme 1965, यथा संशोधित एवं समय-समय पर परिषद तदोपरांत कारपोरेशन द्वारा अंगीकृत प्राविधानों के अनुसार अनुमन्य है।
पेंशन हितलाभ को सेवानिवृत्ति के दिन ही परिषदीय सेवक को भुगतान किये जाने के लिए वास्तविक प्रक्रिया रिटायरमेन्ट की तिथि से दो साल पूर्व ही नियमानुसार आरम्भ कर देनी चाहिये। इस प्रक्रिया के तारतम्य में रिटायरमेन्ट की पूर्व सूचना जारी होते ही त्वरित एवं प्रभावी ढंग से निस्तारण हेतु सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर आवश्यक कार्यवाही पूरी करनी चाहिए तथा सम्बन्धित कार्मिक को भी वांछित प्रपत्र, अभिलेखों एवम् अन्य औपचारिकताओं को तत्परता से सही-सही प्रस्तुत करना चाहिए ताकि वांछित प्रपत्र अभिलेख आदि समय से पेंशन आदि की स्वीकृति हेतु सक्षम अधिकारी को भेजा जा सके। विहित प्रक्रिया के साथ निस्तारण हेतु सरल एवं सुझावात्मक आलेख प्रस्तुत है:
सेवानिवृत्ति की पूर्व नोटिस:
परिषादेश संख्या 195 पेंशन-31 (रा.वि.प.)/93/अ(461)पी/89 दिनांक 21 जनवरी 1993 द्वारा यह व्यवस्था की गई है कि परिषदीय सेवकों को उनकी सेवानिवृत्ति होने की तिथि से पूर्व दिये जाने वाले नोटिस/सूचना के साथ पेंशन प्रपत्रों की प्रति अवश्य उपलब्ध कराया जाये ताकि सेवानिवृत्ति होने से पूर्व ही वांछित प्रपत्र भर कर प्रस्तुत किया जा सके। किन्तु व्यवहारिक रूप से उक्त नोटिस में नो ड्यूज को जमा करने का तो हवाला हाता है किन्तु निर्धारित प्रपत्र तथा अन्य वांछित सूचनायें व अभिलेख आदि का स्पष्ट उल्लेख नहीं होता है। अत: उपरोक्त परिप्रेक्ष्य में सेवानिवृत्ति होने की तिथि से पूर्व दिये जाने वाले नोटिस/सूचना का एक प्रारूप बी.ओ. संख्या 623-पेंशन-31/रा.वि.प.-97/41पी/89 दिनांक 21.05.1997 में दिया गया है जिसके साथ वांछित पेंशन प्रपत्र की प्रतियों को भी सम्बन्धित परिषदीय सेवक को दिया जाना चाहिये तथा भरवाकर अग्रिम कार्यवाही सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है।
सुझाव :
- "जी.पी. एफ. के सम्बन्ध में:
- रिटायरमेन्ट के 6 माह पूर्व सम्बन्धित कार्मिक की जी.पी.एफ. की पर्ची या जी.पी.एफ. की पासबुक में अन्तिम अंशदान की प्रविष्टि एवम् अन्तिम जी.पी.एफ. की पर्ची के बाद के अंशदान/आहरण का विवरण अन्तिम अंशदान तक बना करके निर्धारित प्रपत्र, राजपत्रित मामलों में निर्धारित प्रपत्र "ए" (पेज नं0 18 से 19) तथा अन्य सभी के मामले में निर्धारित प्रपत्र "बी" में (पेज नं. 20 से 21) में अन्तिम आहरण हेतु तीन प्रतियों में आवेदन पत्र जाँच पत्र (पेज नं.17) के साथ यथास्थिति सम्बन्धित लेखाधिकारी (जी.पी.एफ.) को एक महीने में भेजना चाहिये तथा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि रिटायरमेन्ट की तिथि को सम्बन्धित परिषदीय सेवक को उसका जी.पी.एफ. के खाते में बाकी धनराशि का भुगतान हो सके। परिषदीय सेवकों को चाहिए कि रिटायरमेन्ट के दो साल पूर्व से ही अपने जी.पी.एफ. के खातों की जाँच-पड़ताल करके अपने अंशदान/अग्रिम आदि की प्रविष्टि सुनिश्चित कर सही जी.पी.एफ. की पर्ची प्राप्त कर लें तथा सेवानिवृत्ति के 6 माह पूर्व जी.पी.एफ. में अंशदान बन्द करा दें तथा निर्धारित प्रपत्र ए/बी में जी.पी.एफ. के अन्तिम आहरण हेतु तुरन्त आवेदन कर दे तथा इस सम्बन्ध में प्रगति की जानकारी से अवगत रहें ताकि रिटायरमेन्ट की तिथि को भुगतान हो सके।
- मृतक के दावों के सम्बन्ध में फार्म-सी व ग-1 (पेज नं. 29 से 34) भरे जायेंगे।
पेंशन प्रपत्रों की तैयारी:
समय से पेंशन प्रपत्रों एवं वाँछित सूचनाओं एवं विवरण को प्रस्तुत किया जा सके इसके लिये पेंशन प्रपत्रों आदि को दो भागों में अलग-अलग निम्न प्रकार से सेट बना सकते हैं: सुविधा के लिये सेवानिवृत्ति के मामले में (RI) तथा (RII) एवम् पारिवारिक पेंशन आदि के लिये (DI) तथा (DII) चिन्हित किया जा रहा है:-
(क) कार्मिक के रिटायरमेन्ट की दशा में पेंशन /सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी तथा पेंशन राशिकरण हेतु परिषदीय सेवकों द्वारा प्रस्तुत किये जाने वाले निर्धारित एवं वांछित अभिलेख आदि (RI) (पेज नं. 10 से 16)।
(ख) परिवारिक पेंशन/मृत्यु ग्रेच्युटी की दशा में पारिवारिक पेंशन आवेदनकर्ता द्वारा प्रस्तुत किये जाने वांछित प्रपत्र अभिलेख आदि (DI) (पेज नं. 23 से 28)
(ग) सम्बन्धित डिवीजन/कार्यालय द्वारा तैयार किये जाने वाले वांछित प्रपत्र या अभिलेख आदि (RII) तथा (DII) (पेज नं. 36 से 47)
नोट: ग्रेच्युटी पर विलम्ब से भुगतान के फलस्वरूप तीन मास के बाद उसी दर पर ब्याज अनुमन्य होगा जैसा कि सामान्य जी.पी.एफ. के तहत जमा धनराशि पर (वर्तमान में 9.5 प्रतिशत सालाना है) समय-समय पर अनुमन्य होता है। (बी.ओ. नं. 996-पेंशन-31/राविप/98-81पी/31/95 दिनाँक 30.06.98)
सेवा पुस्तिका की जाँच:
पेंशन के निर्धारण में सेवापुस्तिका का पूरा होना एक महत्वपूर्ण कारक है अत: पेंशन प्रपत्रों के साथ कार्मिक की सेवा पुस्तिका की पूरी-पूरी बारीकी से जांच के लिये तथा बाकी उपार्जित अवकाश की गणना की सही-सही जांच हेतु एक प्रारूप SCRUITNY OF SERVICE BOOK तथा DETAILS OF LEAVE AVAILED पेज नं. 44 से 46 तक सम्बन्धित डिवीजन/कार्यालय द्वारा तैयार किये जाने वाले पेंशन प्रपत्र (RII) के साथ संलग्न है। इस प्रारूप में सेवा पुस्तिका से प्रविष्टियाँ करके सेवा पुस्तिका के पेज नं. भर करके यह सुनिश्चित किये जाने में कि सेवा पुस्तिका में सभी आवश्यक प्रविष्टियाँ हैं तथा प्रमाणित है, सुविधा के पेज नं. भर करके ये सुनिश्चित किये जाने में कि सेवा पुस्तिका में सभी आवश्यक प्रविष्टियाँ हैं तथा प्रमाणित है, सुविधा होगी। इस प्रारूप को डिवीजन या सम्बन्धित कार्यालय के पेंशन प्रपत्र कापी के साथ अपने रिकार्ड्स में रख लें। वेतन निर्धारण आदि तथा बाकी उपार्जित अवकाश के भुगतान के पूर्व सेवापुस्तिका सम्बन्धित लेखाधिकारी से विधीक्षित करा लेना चाहिये। कार्मिकों को वित्तीय साल के अन्त में अर्हकारी सेवा के सम्बन्ध में प्रमाण-पत्र निर्गत करने सम्बन्धी निर्देश हेतु बी.ओ. नं. 1431-पेंशन-31/राविप/95/21/पी/95 दिनांक 17.7.95 का अनुपालन करें।
- 3.1 सेवाकाल का विवरण:-
राजपत्रित स्तर के सेवक (यदि पूर्व में अराजपत्रित स्तर के पद पर भी रहे हो) को अपने पूर्व सेवाकाल विवरण प्रस्तुत करने के लिए एक प्रारूप प्रस्तावित है जिसमें वे अवरोही क्रम में अपने पूर्ण तैनाती अवधियों को पद सहित उल्लेख करते हुए तैयार कर ले ताकि जी.पी.एफ. के अन्तिम आहरण एवं पेंशन प्रपत्रों के साथ भेजने में सुविधा हो। अपना अभिज्ञान संख्या एवं आडिट संख्या प्रत्येक प्रपत्र पर अवश्य लिखें। (पेज नं. 47)
पेंशन अर्ह सेवा:-
(क) सेवा प्रारम्भ करने के दिनाँक से सेवानिवृत्ति/मृत्यु के दिनांक तक की गई सेवा पेंशन अर्ह सेवा मानी जाती है। 20 साल की आयु प्राप्त करने के पूर्व सेवा पेंशन अर्ह नहीं होगी। सारी कार्य अवधि (ड्यूटी) तथा सारा सवेतन अवकाश चाहे पूर्ण वेतन पर हो या अर्द्ध वेतन पर, पेंशन अर्ह होगा। वेतन रहित अवकाश निम्नलिखित तीन स्थितियों के अतिरिक्त पेंशन अर्ह नहीं है:-
- सक्षम चैकित्सिक प्राधिकारी द्वारा दिये गये चिकित्सा प्रमाण-पत्र के आधार पर।
- नागरिक अशान्ति होने के कारण ड्यूटी पर आने या पुन: आने से उसकी असमर्थता।
- उच्च तकनीकी और वैज्ञानिक अध्ययनों में अनुशीलन के कारण।
निलम्बन की अवधि पेंशन अर्ह नहीं है। किन्तु सेवा पुस्तिका में किसी विशेष प्रविष्टि के न होने पर निलम्बन की अवधि अर्ह सेवा में गिनी जायेगी। सेवा में हुआ व्यवधान पेंशन अर्ह नहीं है, किन्तु सेवा रिकार्ड में कोई संकेत न होने पर परिषद के अन्तर्गत की गई सेवा पेंशन अर्ह मानी जायेगी सिवाय इसकसे कि जहां अन्यथा यह जानकारी हो कि व्यवधान सेवा से त्याग-पत्र देने, बरखास्त कर दिये जाने या सेवा से निकाल दिये जाने या किसी हड़ताल में भाग लेने के कारण हुआ है।
(ख) पूर्ण अर्हकारी सेवा को छमाहियों में परिवर्तित किया जायेगा और ऐसी छमाहियों की गणना करते समय तीन मास या उससे अधिक की अवधि की एक छमाही माना जायेगा। उदाहरणार्थ 29 साल 9 महीनें की पेंशन अर्ह सेवा 30 साल या 60 छमाहियां मानी जायेगी।
(ग) अधिवर्षता तिथि/जन्म तिथि का अवधारण:-
परिषादादेश संख्या 2325 (1) पेंशन/31/राविप/95 तददिनांक 31.10.95 में जन्म तिथि के सम्बन्ध में ओवर राइटिंग, कटिंग या छल प्रबन्धन से परिवर्तन और इस कारण अधिवर्षता की तिथि निर्धारण में भ्रम, अनावश्यक समस्या, शुद्ध करने के बारे में आवेदन आदि ग्रहण करने को गम्भीरता से लिया गया है तथा स्पष्ट किया गया है कि शासन/परिषद ने जो समय-समय पर आदेश निर्गत करके परिषदीय सेवकों की सेवा पुस्तिकाओं में उनके प्रारम्भिक नियुक्ति के समय अंकित जन्मतिथि में परिवर्तन करने की किसी भी सम्भावनाओं की और अधिवर्षता की आयु प्राप्त कर लेने के उपरान्त किन्हीं परिस्थितियों में भी सेवकों को सेवा में बनाये रखना वर्जित है तथा यह स्पष्ट किया गया है कि इस प्रकार की अनियमितता करने वाले दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध अनुशासनिक कार्यवाही भी की जायेगी।
जन्म तिथि को अंकित करने के सम्बन्ध में विशेष सावधानियाँ:-
- जन्म तिथि का साक्ष्य कार्मिक द्वारा, चयन या ऐसे समय के अन्दर जो नियुक्ति अधिकारी द्वारा निर्धारित किया जाय, प्रस्तुत करना होगा।
- परिषदीय सेवक की प्रारम्भिक सेवा के आरम्भ के समय यदि उसने हाईस्कूल या उसके समतुल्य कोई परीक्षा उत्तीर्ण की हो तो उसकी जन्म तिथि का साक्ष्य हाईस्कूल प्रमाण-पत्र या उसके समतुल्य परीक्षा प्रमाण पत्र होगा। यदि वह हाईस्कूल या उसके समतुल्य कोई परीक्षा उत्तीर्ण नहीं है, परन्तु किसी शिक्षण संस्थान में शिक्षा पाई हो तो उसकी भी जन्मतिथि का साक्ष्य शिक्षण संस्था छोड़ने का प्रमाण-पत्र होगा।
- अन्य परिस्थितियों में नगर महापालिका/नगर पालिका।नोटीफाइड एरिया/टाउन एरिया/पंचायत द्वारा दिया गया जन्म प्रमाण पत्र साक्ष्य होगा।
- यदि ऐसा कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं है तो जन्म तिथि का निर्धारण निम्नवत् किया जायेगा।
- यदि अभ्यर्थी का जन्म वर्ष ज्ञात है, परन्तु तिथि एवं माह ज्ञात नहीं है तो पहली जुलाई जन्म तिथि मानी जायेगी।
- जहां जन्म का वर्ष एवं माह दोनों ज्ञात हैं, परन्तु निश्चित तिथि ज्ञात नहीं है, इस स्थिति में ज्ञात माह की 16 तारीख को जन्म तिथि मानी जायेगी।तो पहली जुलाई जन्म तिथि मानी जायेगी।
- यदि उपरोक्त किसी प्राविधान के अनुसार जन्म तिथि निश्चित न की जा सके तो मुख्य चिकित्साधिकारी या परिषद द्वारा इस सम्बन्ध में प्राधिकृत चिकित्सक के प्रमाण-पत्र पर जन्म तिथि निर्धरित की जायेगी।
- जिस प्रमाण-पत्र के आधार पर ससेवा पुस्तिका में जन्म तिथि अंकित की जाय उसके सामने आधार/साक्ष्य का भी उल्लेख कर देना चाहिए तथा प्रमाणित प्रतिलिपि सेवा पुस्तिका में चसपा कर देना अच्छा है।
- सेवा पुस्तिका में जन्म तिथि अंकों तथा शब्दों में सुस्पष्ट अभिलिखित होनी चाहिए।
नोट: सेवा पुस्तिका में अंकित जन्म तिथि उसकी अधिवर्षता की आयु की तिथि का निर्धारण, समय पूर्व सेवानिवृत्ति और नैवृत्तिक लाभों के लिये मान्य है। सेवक की सेवापुस्तिका में एक बार अंकित जन्म तिथि में बाद में किन्हीं परिस्थितियों में भी कोई परिवर्तन या कटिंग नहीं होनी चाहिए क्योंकि बाद में किया गया कोई भी जन्म तिथि के सम्बन्ध में ओवर राइटिंग, कटिंग या छल प्रबन्धन से परिवर्तन सर्वथा अवैध व अमान्य है। अत: सेवकों को उनकी सेवा पुस्तिका में प्रथम बार सेवा में प्रवेश करने के समय अंकित जन्म तिथि के आधार पर उनकी अधिवर्षता की आयु पर सेवानिवृत्त कर दिया जाय।
नैवृत्तिक लाभ/अनुमन्य देय हेतु परिलब्धियों का आंगणन:-
- (क) पेंशन:-
उ.प्र. राज्य विद्युत परिषद द्वारा 1.1.96 से पुनरीक्षित वेतनमान में निर्धारित मूल वेतन का सेवानिवृत्ति के अन्तिम 10 मास के औसत वेतन (औसत परिलब्धियों) का 50 प्रतिशत होगी, बशर्ते सेवक ने 33 साल की पेंशन अर्ह सेवा पूर्ण कर ली हो। यदि पेंशन अर्ह सेवा की अवधि कम हो तो पेंशन की राशि उसी अनुपात में कम हो जायेगी। औसत वेतन की गणना करते समय सेवानिवृत्ति के दस माह पूर्व वेतन से कम राशि मिली हो और वह अवधि अर्हकारी सेवा में जोड़ी जानी है तो इस अवधि के लिये वह पूर्ण वेतन जोड़ा जायेगा जिसे वह अवकाश या निलम्बन की तिथि में न होने पर प्राप्त करता। अनर्ह अवकाश, निलम्बन या व्यवधान की अवधि निकाल दी जायेगी और उतनी पिछली अवधि शामिल कर ली जायेगी।
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न्यूनतम : रू० 1275.00 |
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औसत परिलब्धियाँ X अर्हकारी सेवा अवधि (अधिकतम 66 छमाही) |
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पेंशन= |
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अधिकतम: वेतनमान के |
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2x66 |
अधिकतम का 50% |
- (ख) पारिवारिक पेंशन:-
पारिवारिक पेंशन का आगणन अन्तिम आहरित मूल वेतन के आधार पर 30 प्रतिशत होगा।
- (ग) सेवा-निवृत्ति ग्रेच्युटी एवं मृत्यु ग्रेच्युटी:
सेवानिवृत्ति एवं मृत्यु ग्रेच्युटी हेतु अन्तिम आहरित मूल वेतन तथा उस पर अनुमन्य महंगाई भत्ता सम्मिलित करते हुए आहरित परिलब्धियाँ मानी जायेंगी एवं तदनुसार आगणित की जायेगी। अधिकतम सीमा दिनांक 1.1.96 से रू.3.50 लाख (साढ़े तीन लाख रू.) है।
सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी=
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परिलब्धियाँ X अर्हकारी सेवा अवधि (अधिकतम 66 छमाही)
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4 |
परिलब्धियाँ = अन्तिम आहरित मूल वेतन + अनुमन्य महँगाई भत्ता।
नोट:-
- रिटायरमेन्ट की दशा में रिटायरमेन्ट की पूर्व नोटिस के साथ (RI) के प्रपत्रों के तीन सेट भरकर जमा करने हेतु तथा कार्मिक की सेवाकाल में मृत्यु हो जाने की दशा में पारिवारिक पेंशन आवेदनकर्ता से (DI) के प्रपत्रों के तीन सेट भरवाने चाहिये।
- ऐसे कार्मिकों के मामलों में जिनकी पेंशन आदि कारपोरेशन स्तर या मुख्य अभियन्ता (जल विद्युत) स्तर से निर्णीत होनी है जैसे राजपत्रित स्तर के कार्मिक, जूनियर इन्जीनियर, लेखा संवर्ग, मुख्यालय संवर्ग आदि के लिये उपरोक्त प्रपत्रों के चार सेट चाहिये ताकि उनको पेंशन स्वीकृत स्तर को अतिरिक्त सेट भेजा जा सके।
- यदि सम्बन्धित कार्मिक अपने लिये उपरोक्त सेट की एक कापी रखना चाहते हैं तो एक अतिरिक्त सेट तैयार करें।
- पेंशन प्रपत्रों को भरने के लिये आवश्यक मार्ग निर्देश सुविधा के लिये (RI) तथा (DI) के साथ संलग्न।
- रिटायरमेन्ट की दशा में (RI) तथा (RII) के प्रपत्र रिटायरमेन्ट की तिथि से पूर्व ही हर हालत में सक्षम अधिकारियों/लेखाधिकारी के कार्यालय भेज देना चाहिए तथा पेंशन भुगतान/स्वीकृत आदेश भुगतान की शर्तों आदि जैसे प्रपत्र 2 अन्तिम देय प्रमाण-पत्र आदि के अनुसार ही प्राप्त कर लेना चाहिए ताकि सम्बन्धित शर्तों आदि के पूरा करने पर सम्बन्धित कार्मिक सेवक रिटायरमेन्ट के अगले माह से पेंशन ही प्राप्त कर सकें।
- कार्मिक की सेवाकाल में मृत्यु की दशा में (DI) तथा (DII) के प्रपत्र एवं वांछित अभिलेख सर्वोच्च प्राथमिकता पर इस लक्ष्य के साथ कि मृत्यु के अगले माह से (एक माह में) पारिवारिक पेंशन का भुगतान किया जा सके, तैयार करके लेखाधिकारी/सक्षम अधिकारी के कार्यालय भेज देना चाहिये।
- बी.ओ. नं. 1863-पेंशन-31/राविप/92 दिनांक 19 अक्टूबर 1992 के अनुसार यदि किसी सेवानिवृत्त/मृतक कार्मिक के आश्रितों के पेंशन/पारिवारिक पेंशन देयों को अधिकृत/निस्तारण, विशेष परिस्थितियां को छोड़कर एक माह के अन्दर नहीं की जाती है तो सम्बन्धित अधिकारी की चरित्र पंजिका में इस आशय की प्रतिकूल प्रविष्टि अंकित कर दी जायेगी।
- अनन्तिम पेंशन/ग्रेच्युटी:-
बी.ओ. नं. 853 -पेंशन-31/राविप/461 (पी)/89 दिनांक 21.6.1991 के साथ पठित शासनादेश संख्या सा-3/1713/दस/89-933/89 दिनांक 28.7.89 के प्रस्तर 7 एवं 8 के द्वारा तथा सी.एस.आर. के अनुच्छेद 919 (1) में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार अनन्तिम पेंशन/अनन्तिम पारिवारिक पेंशन कार्यालयाध्यक्ष के द्वारा स्वीकृत करना अनिवार्य (मेण्डेटरी) है। उपरोक्त स्वीकृति निम्न दशाओं में की जाना चाहिये।
- वांछित पेंशन प्रपत्र आदि रिटायरमेन्ट के पूर्व निर्धारित अवधि में भेज दिये जाने के उपरान्त भी यदि रिटायरमेन्ट के पूर्व पेंशन तथा रिटायरमेन्ट ग्रेच्युटी के प्राधिकार पत्र निर्गत न हो सके तो कार्यालयाध्यक्ष द्वारा पूर्व निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार शत-प्रतिशत अनन्तिम पेंशन स्वीकृत करेंगे। रिटायरमेन्ट ग्रेच्युटी निर्धारित कर अनिर्धारित देय रकमों के लिये तथा अंशत: ग्रेच्युटी के अन्तिम निर्धारण में समायोजन के लिये 10 प्रतिशत तक रोककर बाकी का भुगतान अनन्तिम रूप से रिटायरमेन्ट के दिन कर देना चाहिए एवं इसकी सूचना पेंशन स्वीकृतकर्ता अधिकारी को पेंशन प्रपत्र संशोधित अन्तिम देय प्रपत्र-2 में स्वीकृत कार्यालय ज्ञापन की प्रति एवं विवरण के साथ देना चाहिये।
बी.ओ. नं. 1375-पेंशन-31/राविप-124/461 (पी-89) दिनांक 25.07.1994 के अनुसार अनन्तिम सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी/अनन्तिम मृत्यु ग्रेच्युटी की स्वीकृति कार्यालध्यक्षों के द्वारा तभी किया जाये जबकि वे पूर्ण रूप से सुनिश्चित कर ले कि सेवानिवृत्त/मृतक कार्मिक के ऊपर कोई बकाया नहीं है, उसके विरूद्ध कोई विभागीय/न्यायिक कार्यवाही या प्रशासनिक अधिकरण की जांच नहीं चल रही है एवं उसने/उसके परिवार ने कारपोरेशन/निगम का आवास खाली कर दिया तथा समस्त देयों का भुगतान कर दिया है।
नोट:-
1. कार्यालयाध्यक्ष उपरोक्तानुसार अनन्तिम पेंशन एवं अनन्तिम रिटायरमेन्ट ग्रेच्युटी राजपत्रित स्तर के वे परिषदीय सेवक जिनकी रिटायरमेन्ट लाभों का निस्तारण कारपोरेशन स्तर से किया जाता है कि अतिरिक्त बाकी परिषदीय सेवकों का ही करेंगे।
2.क यदि किसी कार्मिक के विरूद्ध रिटायरमेन्ट के दिनांक को कोई विभागीय/न्यायिक कार्यवाही/प्रशासनिक अधिकरण द्वारा कोई जांच चल रही है या लम्बित हो या रिटायरमेन्ट के बाद उसे संस्थित (INSTITUTE) किया जाना हो तो उसे पेंशन की स्वीकृति नहीं दी जायेगी अपितु बी.ओ. नं. 520-पेंशन-31/राविप/95 दिनांक 09/02/95 के साथ पठित सी.एस.आर. के यथासंशोधित अनुच्छेद 351/क-(क) एवं 919-क(1) में दी गई व्यवस्थानुसार विभागीय/न्यायिक कार्यवाही/प्रशासनिक अधिकरण द्वारा जांच की समाप्ति एवं सक्षम प्राधिकारी द्वारा अन्तिम आदेश पारित होने तक अधिकतम पेंशन के बराबर अनन्तिम पेंशन रिटायरमेन्ट की दिनांक से स्वीकृति की जायेगी जो कि सम्बन्धित कार्मिक के रिटायरमेन्ट के दिनांक तक या यदि वह रिटायरमेन्ट को निलम्बित हो तो उस दिनांक जब वह निलम्बित किया गया था, के ठीक पूर्ववर्ती दिनांक तक अर्हकारी सेवा और औसत परिलब्धियों के आधार पर आगणित की जायेगी। रिटायरमेन्ट ग्रेच्युटी अनन्तिम रूप से स्वीकृति नहीं की जा सकेगी। ग्रेच्युटी की भुगतान अन्तिम रूप से निर्दिष्ट कार्यवाही पर अन्तिम निर्णय पर यथानुसार ही किया जा सकेगा।
इस प्रकार स्वीकृति की गई अनन्तिम पेंशन के भुगतान के समायोजन में निर्दिष्ट कार्यवाही पर अन्तिम निर्णय के उपरान्त स्वीकृति की जाने वाली अनन्तिम रिटायरमेन्ट लाभ के प्रति किया जायेगा किन्तु यदि अन्तिम रूप से स्वीकृत पेंशन अनन्तिम पेंशन से कम हो या पेंशन स्थायी रूप से या किसी विनिर्दिष्ट अवधि के लिये कम कर दी जाये या रोक ली जाय तो कोई वसूली नहीं की जायेगी।
2.ख
(अ) बी.ओ.नं. 1386-पेंशन-31/राविप/96-68-पी/96 दिनांक 09/03/97 से स्पष्ट है कि किसी कार्मिक की मृत्यु के दिनांक को किसी भी मामले में विभागीय/न्यायायिक कार्यवाही/लम्बित जांच जारी रहते कार्मिक की मृत्यु हो जाने पर चूंकि वह अपना पक्ष, मृत्यु के उपरान्त प्रस्तुत नहीं कर सकता है और चूंकि एकतरफा कार्यवाही / जांच विधिक दृष्टि से न्यायोचित नहीं कही जा सकती अत: शासनादेश संख्या सा. 3-1713 / 10.89.933 / 89 दिनांक 28.07.1989 के प्रस्तर(5) -2 (ख) (5) के तहत मृतक कार्मिक के विरूद्ध उसकी मृत्यु के दिनांक को ऐसी विभागीय/न्यायिक कार्यवाही स्वत: समाप्त मानी जायेगी।
(ब) निलम्बित कार्मिक की उसके विरूद्ध संस्थित अनुशासनिक या न्यायिक कार्यवाही समाप्त होने के पूर्व ही मृत्यु हो जाने की दशा में प्रत्येक दशा में किसी बात के होते हुए भी सम्बन्धित कार्मिक के निलम्बन के दिनांक और उसकी मृत्यु के दिनांक के बीच की अवधि को सभी प्रयोजनों के लिये कार्यावधि समझा जायेगा और उसके परिवार को उक्त अवधि के लिए पहले से दिये गये निर्वाह भत्ता को समायोजित करते हुए पूरा वेतन और भत्ता दिया जायेगा जिसके लिए वह (मृत कार्मिक) हकदार होता यदि वह निलम्बित न किया गया होता।
(ड.)अनन्तिम पारिवारिक पेंशन/अनन्तिम मृत्यु ग्रेच्युटी:-
बी.ओ.नं. 893 दिनांक 21 जून, 1991 द्वारा अंगीकृत वित्त विभाग द्वारा निर्गत शासनादेश संख्या सा-3-1667/दस-931-87 दिनांक 9.06.1987 के अन्तर्गत कार्मिक के सेवाकाल में मृत्यु हो जाने की दशा में उसके परिवार के पारिवारिक पेंशन के पात्र व्यक्ति द्वारा अनुलग्नक -1(पेज नं. 26) पर मृत्यु प्रमाण-पत्र सहित आवेदन प्राप्त होने पर कार्यालयाध्यक्ष/आहरण एवं वितरण अधिकारी सर्वप्रथम प्रार्थना-पत्र को सत्यता से अपने को सन्तुष्ट कर लेने के और फिर अनुलग्नक 2 (पेज नं.49 से 50) पर सामान्यता आगणित पारिवारिक पेंशन नियमानुसार बनी हुई दर की धनराशि के 90 प्रतिशत के बराबर धनराशि अनन्तिम पारिवारिक पेंशन के रूप में तथा अनुमन्य महंगाई राहत सहित स्वीकृत करेंगे तथा हर दशा में मृत्यु के माह की पहली तारीख को (वेतन भुगतान दिन) से प्रारम्भ करने का प्राविधान है। अन्तिम पारिवारिक पेंशन (बाकी 10 प्रतिशत पारिवारिक पेंशन) की स्वीकृति हेतु वांछित पेंशन प्रपत्र व अभिलेख स्वीकृति हेतु मृत्यु होने के एक माह के अन्दर सक्षम पेंशन स्वीकृतकर्ता अधिकारी/उपमुख्य लेखाधिकारी को भेजे जाने हैं ताकि अन्तिम पारिवारिक पेंशन स्वीकृत हो सके तथा भुगतान की गई अनन्तिम पारिवारिक पेंशन का समायोजन हो सके। अनन्तिम पारिवारिक पेंशन तब तक आहरित की जाती रहेगी जब तक कि सक्षम पेंशन अर्हता अधिकारी/उप मुख्य लेखाधिकारी से अन्तिम पारिवारिक पेंशन का प्राधिकार पत्र प्राप्त नहीं हो जाता है।
अनन्तिम मृत्यु ग्रेच्युटी सामान्यतया आंगणित मृत्यु ग्रेच्युटी से सम्बन्धित मृत कार्मिक के एक माह के वेतन के बराबर धनराशि या 3000/- रू. जो भी कम हो को रोककर बाकी धनराशि का भुगतान अनन्तिम मृत्यु ग्रेच्युटी के रूप में मृत कार्मिक के परिवार के मृत्यु ग्रेच्युटी हेतु पात्र सदस्यों व व्यक्ति को निर्धारित प्रक्रियानुसार तथा बी.ओ. नं.1375 दिनांक 25/07/1994 में उल्लेखित वांछनीयता के उपरांत ही कार्यालयाध्यक्ष द्वारा किया जायेगा।
नोट: बी.ओ. नं. 1707-पेंशन-31/राविप/95 दिनांक 13/10/1995 में स्पष्ट किया गया है कि विद्यमान शासकीय/बोर्ड आदेशों के अधीन पेंशन पर कार्यालयाध्यक्ष द्वारा ही अन्तिम पेंशन/अनन्तिम पारिवारिक पेंशन स्वीकृत करते समय रिटायरमेन्ट/मृत्यु के दिनांक को लागू दरों पर महंगाई राहत भी साथ में अनुमन्य की जाना चाहिये तथा उसके उपरान्त महंगाई राहत की दरों में वृद्धि हो तो वो भी अनन्तिम पेंशन/अनन्तिम पारिवारिक पेंशन के साथ अनुमन्य की जानी चाहिये एवं यह सुनिश्चित कर लेना चाहिये कि भविष्य में नियमित रूप से महंगाई राहत का भुगतान होता रहे।
पेंशन के राशिकरण हेतु आवेदन-पत्र :
यद्यपि कि पेंशन प्रपत्रों की वर्तमान सरलीकृत प्रक्रिया के अन्तर्गत निवृत्त पेंशन के अधिकतम 40 प्रतिशत (1.1.1996 से) का राशिकरण के (बिना डाक्टरी जांच के) "एकीकृत पेंशन प्रपत्र" भाग-1 में आवेदन किया जाता है, किन्तु राशिकरण के उद्देश्य, उपयोग, अनुमानित व्यय आदि का उल्लेख न होने के कारण पेंशन स्वीकृतिकर्ता अधिकारी के स्तर से जानकारी आदि मांगी जाती है जिससे राशिकरण की स्वीकृति व तत्सम्बन्धी धनराशि प्राप्त होने से विलम्ब होता है।
अत: अनावश्यक विलम्ब से बचने के लिये यह सुझाव है कि एकीकृत पेंशन प्रपत्र-1 (भाग-1) में राशिकरण सम्बन्धी सहमति देने के साथ ही साथ बी.ओ. नं. 3997-जे/राविप-का.-एक-102ए/1978 दिनांक 10/12/80 में उल्लिखित पेंशन के राशिकरण का प्रार्थना पत्र (पेज नं. 12) तीन प्रतियों में आवेदनकर्ता के चस्पाचित्र एवं अन्य वांछनीय सूचनाओं के प्रमाणन के साथ देना चाहिये तथा रिटायरमेन्ट के अन्य पेंशन प्रपत्रों के साथ ही सम्बन्धित सक्षम अधिकारी को आवश्यक स्वीकृति हेतु भेज दिये जाने के बाद में होने वाली असुविधा से बचा जा सकता है।
पेंशन के प्रति रूपया राशिकृत कराने पर जो धनराशि उपलब्ध होगी, उसका निर्धारण निम्न तालिका के आधार पर होगा।
अगली जन्म तिथि को आयु |
राशिकरण हेतु गुणनफल |
अगली जन्म तिथि को आयु |
राशिकरण हेतु गुणनफल |
अगली जन्म तिथि को आयु |
राशिकरण हेतु गुणनफल |
40 |
15.87 |
56 |
11.42 |
72 |
6.30 |
41 |
15.64 |
57 |
11.10 |
73 |
6.01 |
42 |
15.40 |
58 |
10.78 |
74 |
5.72 |
43 |
15.15 |
59 |
10.46 |
75 |
5.44 |
44 |
14.90 |
60 |
10.13 |
76 |
5.17 |
45 |
14.64 |
61 |
9.81 |
77 |
4.90 |
46 |
14.37 |
62 |
9.48 |
78 |
4.65 |
47 |
14.10 |
63 |
9.15 |
79 |
4.40 |
48 |
13.82 |
64 |
8.82 |
80 |
4.17 |
49 |
13.54 |
65 |
8.50 |
81 |
3.94 |
50 |
13.25 |
66 |
8.17 |
82 |
3.72 |
51 |
12.95 |
67 |
7.85 |
83 |
3.52 |
52 |
12.66 |
68 |
7.53 |
84 |
3.32 |
53 |
12.35 |
69 |
7.22 |
85 |
3.13 |
54 |
12.05 |
70 |
6.91 |
|
|
55 |
11.73 |
71 |
6.60 |
|
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राशिकृत धनराशि उपरोक्त गुणनफल से प्राप्त धनराशि का 12 गुना होगी। पेंशन की राशिकृत धनराशि =पेंशन x आवेदित भाग x गुणांक x 12 (आवेदित भाग पेंशन का अधिकतम 40% हो सकता है।)
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- रिटायर्ड कार्मिकों को सभी प्रकार के देयों का भुगतान करने के लिये अदेयता प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के सम्बन्ध में बी.ओ. नं. 882-पेंशन-31/राविप/96 दिनांक 18/06/96 के साथ पठित सी.एस.आर. के अनुच्छेद 922 (1) में दी गई व्यवस्था के अनुसार कार्यवाही सुनिश्चित करना है तथा रिटायरमेन्ट के समय और उसके बाद भी अप्राधिकृत और अवैध अध्यासी बनकर कारपोरेशन/निगम के आवासीय भवनों में निवास कर रहा हो तो बी.ओ. नं. 1254-पेंशन-31/राविप-96-43(पी.)/96 दिनांक 23/09/96 में दी गई व्यवस्था के अनुसार सी.एस.आर. के अनुच्छेद 351 ए-के अन्तर्गत उसकी पेंशन रोकने या जब्त करने या कम करने की कार्यवाही कारपोरेशन/निगम से अनुमोदन प्राप्त करके की जा सकती है। कारपोरेशन/निगमों को सी.एस.आर. के अनुच्छेद 351 बी. के तहत सेवानिवृत्त कार्मिक से उसके द्वारा सेवाकाल में पहुँचायी गयी वित्तीय हानि/गम्भीर वित्तीय अनियमितता के फलस्वरूप आवश्यक निर्णय के उपरांत पेंशन से वसूल करने का अधिकार प्राप्त है।
समय से नैवृत्तिक लाभ प्राप्त करने और अन्य कठिनाइयों से बचने के लिए रिटायरमेन्ट के 2 साल पूर्व से अदेयता प्रमाण-पत्र प्राप्त करने की कार्यवाही करनी चाहिए और सभी तैनाती स्थानों से अदेयता प्रमाण-पत्र प्राप्त करना हित में है।
- यदि कोई कार्मिक रिटायरमेन्ट उपरान्त पेंशन के लिये औपचारिक प्रार्थना-पत्र भरने से पूर्व दिवंगत हो जाता है तो ऐसे मामलों में शासनादेश नं.सा.-2-36831/दस-924-1955 दिनांक 18.11.59 में दी गई व्यवस्था के अन्तर्गत पेंशन स्वीकृतकर्ता अधिकारी दिवंगत परिषदीय सेवक की पेंशन हेतु अपना औपचारिक प्रार्थना-पत्र भर लेता।
- बी.ओ. नं. 2330(1) पेंशन-31/राविप/95 दिनांक 31.10.95 के अनुसार किसी भी सेवक की अधिवर्षता आयु प्राप्त करने के उपरान्त सेवा वृद्धि, पुनर्नियुक्ति या दैनिक वेतन पर नियुक्ति प्रतिबन्धित है। इस प्रकार अनियमितता करने वाले दोषी कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही करने का स्पष्ट आदेश उल्लिखित है, फिर भी यदि कोई सेवक त्रुटि या अधिवर्षता की आयु के उपरान्त सेवा में बना रहता है तो नैवृत्तिक लाभ अधिवर्षता की वास्तविक तिथि के पूर्व दस माह के औसत वेतन तथा उस तिथि तक की गई सेवा के आधार पर स्वीकृति की जानी चाहिए।
- पति पत्नी दोनों की परिषद में सेवा में होने एवं दोनों की मृत्यु हो जाने की दशा में बी.ओ. नं. 1763-पेंशन-32/राविप93-101(पी)/93 दिनांक 30/09/1973 (यथा संशोधित) के साथ पठित तथा सन्दर्भित शासनादेश में दी गई व्यवस्था एवं निहित शर्तों के अधीन मृतकों के बच्चे दो पेंशन तथा उस पर अनुमन्य महंगाई राहत भी निहित प्राविधानुसार पाने के अधिकारी हैं।
"मुश्किलातों का पहाड़ बोला-देखो मेरी ऊँचाई।
मैंने कहा-देखो मेरा मनोबल।
और पहाड़ गायब हो गया।"