Your browser does not support JavaScript! गंभीर मामलों में तुरन्त डाक्टर को बुलाइए किन्तु कभी भी डाक्टर की प्रतीक्षा न कीजिए। | उत्तर प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड, उत्तर प्रदेश सरकार, भारत की आधिकारिक वेबसाइट में आपका स्वागत है

गंभीर मामलों में तुरन्त डाक्टर को बुलाइए किन्तु कभी भी डाक्टर की प्रतीक्षा न कीजिए।

बिजली के धक्के की चिकित्सा

बिजली के धक्के से पीड़ित व्यक्तियों के इलाज के लिये निम्नलिखित सुझाव दिये जाते हैं :-

  • सर्किट को तोड़ दीजिए--
    जितनी जल्दी हो सके बिजली के धक्के से पीड़ित व्यक्ति को सजीव (गरम) तार (live condutor) के स्पर्श से मुक्त कर देना चाहिए। इसके लिये, यदि स्विच पास ही में लगा हो, सर्किट को एकदम खोल दीजिए, यदि स्विच पास में नहीं हो, तो पीड़ित व्यक्ति को किसी सूखी छड़ी, सूखी रस्सी, सूखे कोट या किसी दूसरे असंवाहक  (non-conductor) वस्तु का इस्तेमाल करके हटा दीजिए। बिना किसी बचाव का प्रबन्ध किये नंगे हाथों का इस्तेमाल खतरनाक है और इससे दुर्घटना से पीड़ित व्यक्तियों में एक और पीड़ित व्यक्ति बढ़ सकता है।
  • जाहिरा मृत्यु और कृत्रिम सांस दिलाना-
    जैसे ही किसी पीड़ित व्यक्ति को बिजली के स्पर्श से मुक्त कर दिया जाय, उसके तुरन्त बाद ही सभी कसे हुए कपड़ों को, ढीला कर दीजिए और बिना एक क्षण की देरी किये, कृत्रिम सांस दिलाना शुरू कर दीजिए। सामान्य रूप से बिजली के धक्कों से पीड़ित व्यक्ति बेहोश हो जाते हैं, इतने अधिक बेहोश कि वे मर गए से प्रतीत होते हैं। किन्तु वास्तव में यह केवल जाहिरा मृत्यु होती है जिसके लिए अधिक से अधिक संभव शीघ्रता के साथ कृत्रिम सांस दिलाने की आवश्यकता होती है। किसी डाक्टर को बुलाइए या किसी दूसरी सहायता के लिए कार्यवाही कीजिए, किन्तु ऐसा केवल तभी कीजिए जब इसे करने के लिए कोई दूसरा व्यक्ति मौजूद हो, नहीं तो आप बिना रूके उस समय तक कृत्रिम सांस दिलाने की क्रिया को जारी रखिए जब तक पीड़ित व्यक्ति होश में न आ जाय या डाक्टर न आ जाय। इसके साथ ही, यदि संभव हो, तो आप किसी दूसरे व्यक्ति को यह देखने दें कि आप क्या कर रहे हैं जिससे वह भी आपकी क्रियाओं की नकल कर सके और यदि यह आवश्यक हो कि यह इलाज बहुत लम्बे समय तक के लिये जारी रहे, तो वह आपको आराम देने के लिये यह काम अपने हाथ में ले सके।

जान बचाने की कोशिश में कोई ढिलाई न कीजिए।

  • जब फिर होश आ जाये --
    जब फिर से कुदरती रूप से सांस लेना शुरू हो जाय, तो आदमी को कुछ समय तक लिटाए ही रखा जाना चाहिए। कम्बलों से उसे लपेट कर या दिल की दिशा में उसके शरीर के अंगों को मलकर उसके खून के परिचालन में सहायता पहुँचाई जा सकती है।
  • जलने के घाव (burns)-
    जलने के किन्हीं घावों का इलाज पिकरिक एसिड या कैरन-तेल की पट्टी बांध कर करना चाहिए और उन्हें हवा से ढँक कर रखना चाहिये।